पचास साल पहले देखा था
ज़िन्दगी तुझको।
मिले थे दोनों
जैसे दो अजनबी।
चशमा लगा के अब पूछता हूं,
बता
तुझे जल्दी तो नही मुझसे बिछड़ने की?
पचास साल का है रिश्ता तुझसे।
कुछ खट्टे
कुछ थे ख्वाब मीठे
ढूंढ निकाला मेरे लिये तु
कितने ही मन बहलाने वाले रिश्ते।
गुरु तू था, तेरी पाठशाला,
लिये तूने कितने इन्तेहा।
अब भी तुझको करता नमन
याद है जो तूने दिया हमें ज्ञयान।
बालों में पता नही कब
तूने चांदी की परत चढ़ाई।
नींदों में आने वाले मिठे सपनों पर
पता नही, कब तुने रोक लगाई?
अभी कुछ फासले और है तय करना।
तू साथी मेरे सफर का,
कुछ धीरे, रुक रुक कर तू चलना।
रास्ते के हर मोड़ पर रुक कर
इन्तजार तू मेरा करना।
तेरे किस्से, तेरी बातें
ऐ जिंदगी , लगती है बड़ी हसीन।
पचास सालों का यह रिश्ता हमारा
तेरी दुआ से इसे मुकम्मल करना।
Very nice
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शुक्रिया बन्धु
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